उत्तर प्रदेश में सड़क सुरक्षा में सुधार लाने को लेकर योगी सरकार ने पेट्रोल पंपों पर “नो हेलमेट, नो फ्यूल” का अभियान शुरू किया है। अधिकतर सड़क हादसों में यह देखा गया है कि बिना हेलमेट वाहन चलाने वालों की जान अधिक जाती है। इन्हीं कारणों से लोगों को जागरूक करने के लिए जिले के सभी पेट्रोल पंपों को “नो हेलमेट, नो फ्यूल” का पालन सख्ती से कराने के निर्देश दिए गए हैं। इसी के साथ एक सवाल उठता है कि यातायात पुलिस जिन नियमों का पालन वाहन चालकों से नहीं करवा पा रही है, अब उन नियमों का पालन करवाने के लिए व्यापारियों को आगे करना कितना और कहां तक सही है? ज्ञात हो कि यूपी सरकार ने पेट्रोल भराते समय दोपहिया वाहन चालकों के लिए हेलमेट पहनना अनिवार्य कर दिया है। सरकार और जिला प्रशासन का फिलिंग स्टेशनों को आदेश है कि सितंबर माह से बिना हेलमेट वाले दोपहिया वाहन चालकों को पेट्रोल न दिया जाए। आख़िरकार यह आदेश फिलिंग स्टेशनों को ही क्यों दिया जा रहा है? क्या इसके लिए परिवहन विभाग और यातायात पुलिस पर्याप्त नहीं हैं? इससे तो उनके व्यापार पर भी असर पड़ने की संभावना है। साथ ही, ग्राहकों और व्यापारियों के बीच संवाद बहस और दुर्व्यवहार में बदल सकता है। वहीं दोपहिया वाहन चालक इस सरकारी आदेश से बचने के लिए ‘जुगाड़’ निकाल रहे हैं। मतलब यह है कि पेट्रोल भरवाने के लिए दोपहिया वाहन चालक किसी हेलमेटधारी व्यक्ति से पंप के बाहर हेलमेट मांगकर पहन लेते हैं और पेट्रोल भरवाने के बाद हेलमेट उसके स्वामी को वापस कर देते हैं। फिर सड़क पर बिना हेलमेट के फर्राटा भरने लगते हैं। इस तरह की गतिविधियों से हेलमेट की अनिवार्यता का उद्देश्य ही विफल हो जाता है। सवाल यह भी है कि दोपहिया वाहन चालकों को हेलमेट पहनने की अनिवार्यता का पालन परिवहन विभाग और यातायात पुलिस क्यों नहीं करवा पा रही है? वहीं प्रशासन सरकार की इस नीति के लागू होने को लेकर बेफिक्र दिख रहा है। जबकि उसे भी चाहिए कि पेट्रोल पंपों के निरीक्षण करे और जुगाड़बाज़ी करने वाले चालकों के खिलाफ सख्ती से कार्रवाई करे। तभी “नो हेलमेट, नो फ्यूल” नीति का असर व्यापक रूप से दिखेगा। यहां ध्यान देने योग्य बात यह है कि दोपहिया वाहन चालकों को हेलमेट पहनाना पेट्रोल पंप संचालकों की जिम्मेदारी नहीं है। हेलमेट पहनना यातायात नियमों का हिस्सा है और यह चालक की स्वयं की जिम्मेदारी भी है। सिर्फ सरकारी आदेश होने की वजह से “नो हेलमेट, नो फ्यूल” का पालन पेट्रोल पंप वाले कर रहे हैं, वरना कोई भी व्यापारी ग्राहक को नाराज़ कर अपना व्यवसाय नहीं चलाना चाहेगा। गौरतलब है कि भारत में मोटर वाहन अधिनियम 1988 (धारा 129) के तहत दोपहिया वाहन चालकों के लिए हेलमेट पहनना अनिवार्य है। यह जिम्मेदारी चालक को स्वयं समझनी चाहिए। पेट्रोल पंप कर्मचारियों का दायित्व केवल ईंधन प्रदान करना और उससे जुड़ी सेवाएं देना है, न कि यातायात नियमों का पालन कराना। हालांकि सरकार और जिला प्रशासन के आदेश से कुछ जगहों पर पेट्रोल पंपों पर “नो हेलमेट, नो फ्यूल” जैसे नियम लागू किए गए हैं। ग्राहकों/दोपहिया वाहन चालकों को किसी भी कर्मचारी से बहस नहीं करनी चाहिए। साथ ही उन्हें यह समझना चाहिए कि “नो हेलमेट, नो फ्यूल” जैसे नियम लागू करने का निर्णय पेट्रोल पंप संचालकों का नहीं है और ऐसे नियमों के लागू होने से सड़क पर उनकी सुरक्षा व्यवस्था और मजबूत हो सकेगी। -पवन कुमार गुप्ता, रायबरेली
क्या सिर्फ “नो हेलमेट, नो फ्यूल” नीति से सुधर जाएगी यातायात व्यवस्था?
