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ऋग्वेद दुनिया का सबसे प्राचीनतम ग्रंथ: आरिफ मोहम्मद खान

विश्व बंधु शास्त्री: बागपत। उत्तर प्रदेश में बागपत के बड़ौत में चौधरी केहर सिंह एजुकेशन ट्रस्ट के तत्वावधान में शुक्रवार को आर्य समाज स्थापना के 150 स्वर्णिम वर्ष एवं महर्षि दयानंद सरस्वती की 200वीं जयंती के अवसर पर भव्य यज्ञशाला शिलान्यास समारोह का आयोजन किया गया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि बिहार के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने प्रथम ईंट रखकर यज्ञशाला का शिलान्यास कर शिलालेख का अनावरण किया। उन्होंने इस अवसर को शिक्षा के साथ संस्कारों को जोड़ने वाली पुनीत पहल बताया। कार्यक्रम का आयोजन जिला आर्य प्रतिनिधि सभा के सहयोग से हुआ।
मुख्य अतिथि आरिफ मोहम्मद खान ने अपने उद्बोधन में यज्ञशाला स्थापना को संस्कृति और शिक्षा के समन्वय की अनूठी मिसाल बताया। उन्होंने कहा कि यह प्रश्न बार-बार मन में उठता है कि क्या हमने अपनी महान संस्कृति के साथ न्याय किया है। उन्होंने कहा, “हमारे संविधान के मौलिक अधिकार भी मनुष्य को उसकी मानवता की हैसियत से प्रतिष्ठित करते हैं। आज यूनेस्को ने भी स्वीकार किया है कि वेद दुनिया के प्राचीनतम ग्रंथ हैं। वेदों ने हजारों वर्ष पूर्व ‘अहम् ब्रह्मास्मि’ की उद्घोषणा की थी। यही भाव मानव को सभी जीवों में श्रेष्ठ बनाता है।” राज्यपाल ने विभिन्न धार्मिक और सांस्कृतिक प्रसंगों का उल्लेख करते हुए कहा कि धर्म केवल ‘रिलिजन’ नहीं, बल्कि विश्वकल्याण की व्यापक कल्पना है। उन्होंने कहा कि भारत की संस्कृति दुनिया की अकेली संस्कृति है, जो दूसरों की पीड़ा को अपनी पीड़ा मानती है। दान का अर्थ है, परमात्मा ने जो दिया है उसमें दूसरों का भी हिस्सा है। यही यज्ञ का संदेश है। उन्होंने कहा कि यज्ञ भारतीय संस्कृति का प्राण और आधार है। विद्यालय परिसर में यज्ञशाला बनने से वैदिक संस्कृति का संदेश युवा पीढ़ी तक पहुँचेगा और उनमें संस्कार एवं राष्ट्रभक्ति की भावना जागेगी।
समारोह की अध्यक्षता कर रहे पूर्व केंद्रीय मंत्री एवं पूर्व सांसद डॉ. सत्यपाल सिंह ने कहा कि बागपत वीरता और संस्कारों की भूमि है, जहां से स्वतंत्रता संग्राम के नायक शाहमल जैसे वीर निकले। उन्होंने कहा कि यज्ञ केवल धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि स्वच्छ पर्यावरण और संस्कारवान समाज का प्रतीक है। उन्होंने कहा कि “जिस प्रकार हम अपने घरों को साफ रखते हैं, वैसे ही हमें ईश्वर प्रदत्त धरती, जल और वायु को भी प्रदूषणमुक्त रखना चाहिए। आज नैनो टेक्नोलॉजी के युग में यज्ञ की सामग्री में पुष्ट, रोगनाशक, मिष्ठी और सुगंधित वस्तुएं अवश्य होनी चाहिए। सभी लोगों को साप्ताहिक यज्ञ करने का संकल्प लेना चाहिए।” उन्होंने आगे कहा कि यह नवस्थापित यज्ञशाला वातावरण की शुद्धि के साथ ही युवाओं की चेतना को पवित्र और सशक्त करेगी।
संयोजक एवं बड़ौत मेडिसिटी अस्पताल बड़ौत के मालिक डॉ मनीष तोमर ने बताया कि कार्यक्रम में सात राज्यों से आए आर्य समाज प्रतिनिधियों ने भाग लिया। मुख्य अतिथि राज्यपाल ने परिसर की कॉलेज भवन की प्रशंसा की। उन्होंने कहा कि जीवन में यज्ञ हमें करना चाहिए यज्ञ से हमें शक्ति प्रदान होती है एक तेज आता है और सोचने समझने की तीव्रता भी बढ़ती है। विशिष्ट अतिथि देवेन्द्र पाल वर्मा प्रधान, आर्य प्रतिनिधि सभा उत्तर प्रदेश ने कहा कि शिक्षा के साथ संस्कार जोड़ने की दिशा में यह पहल अत्यंत सराहनीय है। समाजसेवी नरेंद्र त्यागी ने भी अपने विचार रखे और कहा कि ऐसी यज्ञशालाएं आने वाली पीढ़ियों को भारतीय संस्कृति और मूल्यों से जोड़ने का कार्य करेंगी।
समारोह के दौरान संस्थान परिसर में आवासीय शिविर, संस्कार यात्राओं तथा विविध सांस्कृतिक कार्यक्रमों के आयोजन का भी संकल्प लिया गया। संचालन जिला आर्य प्रतिनिधि सभा के मंत्री रवि शास्त्री ने किया। जिला आर्य प्रतिनिधि सभा के अध्यक्ष चौधरी सुशील राणा, कोषाध्यक्ष कपिल आर्य एवं मंत्री रवि शास्त्री, रामपाल तोमर, धर्मपाल त्यागी आदि ने बताया कि यह यज्ञशाला संस्कार, संस्कृति और शिक्षा का संगम बनेगी जिसमें नियमित यज्ञ हवन आयोजित किए जाएंगे।

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