प्रतापगढ़। प्रतापगढ़ जनपद के मानिकपुर क्षेत्र के कुसुवा बाजार में शारदीय नवरात्रि के अवसर पर भगवान श्री राम की पावन कथा का आयोजन चल रहा है। श्री धाम मथुरा वृंदावन से पधारे कथावाचक श्रद्धेय महेन्द्र कृष्ण कन्हैया जी महराज के मुखारबिन्द से श्री राम कथा का सभी श्रोता रसपान कर रहे हैं। 22 सितंबर से निरंतर चल रही श्री राम कथा का आज रविवार को सातवां दिन रहा। आज की कथा में भगवान राम राज्याभिषेक की कथा, राम वनवास, केवट प्रसंग और भगवान प्रयागराज निवास का प्रसंग सुनाया गया। जिसमें राम वनवास का प्रसंग बेहद मार्मिक और केवट का प्रसंग भाव विभोर कर देने वाला रहा। जब भगवान राम, माता सीता और लक्ष्मण के साथ गंगा पार कराने की बात कहते हैं तब इससे पहले वह उनके चरण पखारने की इच्छा रखता है। केवट ने कहा कि उसने सुना है कि आपके पैरों के स्पर्श से एक पत्थर अहिल्या स्त्री बन गई थी. इसलिए, उसे भी है कि उसकी लकड़ी की नाव भी कहीं पत्थर या स्त्री न बन जाए जिससे उससे धनहानि हो जाएगी। कथा वाचक ने बताया कि केवट के इस तर्क के पीछे का मूल कारण यह था कि वह प्रभु श्री राम के चरण पखार कर उनकी भक्ति प्राप्त करना चाहता था जिससे उसका जीवन सार्थक हो सके। केवट की इस भक्ति और विनम्रता को देखकर भगवान श्री राम प्रसन्न हुए और उसे अपने चरण पखारने की अनुमति दी। केवट ने भी पूरी भक्ति भाव से प्रभु के चरण पखारे और फिर भगवान, माता सीता और लक्ष्मण को अपनी नाव में बिठाकर गंगा पार कराया। इसके बदले केवट ने प्रभु राम से न तो उतराई के रूप में कोई अंगूठी ली और न ही धन या मोक्ष मांगा। भगवान राम केवट के इस निस्वार्थ प्रेम और भक्ति से प्रसन्न होकर उसे निर्मल भक्ति का वरदान देते हैं।
इस प्रसंग को सुनकर उपस्थित श्रोता भगवान के जयकारे लगाने लगे और कथा में भक्ति भजन सुनकर सभी झूम उठे।
प्रतापगढ़ जिले के कुसुवा बाजार मानिकपुर में चल रही श्री राम कथा के आयोजक मृत्युन्जय सिंह प्रधान, पूर्व ब्लाक प्रमुख बैजनाथ सिंह, राजा सिंह, कन्हैयालाल जयसवाल, घनश्याम अग्रहरि, संतोष सिंह परिहार मौजूद रहे। भारी संख्या में पहुंचे भक्तजनों ने कथा का रसपान किया।
श्री राम कथा: मागी नाव न केवटु आना…
