ऐतिहासिक तालाब गंदगी से पटा
भक्तों ने मुख्यमंत्री और जिलाधिकारी से कब्जा हटवाने की मांग की
इटावा। अंग्रेजी हुकूमत के दौरान इटावा में तैनात एक डिप्टी मजिस्ट्रेट की जीवनकथा एक अद्भुत मोड़ पर आकर संत “खटखटा बाबा” के रूप में समाप्त हुई। यह वही बाबा हैं जिनके दर्शन करने कश्मीर के महाराजा वीर सिंह अपनी रानी के साथ स्पेशल ट्रेन से जसवंतनगर आए थे। आज उसी ऐतिहासिक स्थल का अस्तित्व संकट में है। आश्रम मार्ग पर दुकानदारों ने अवैध कब्जा कर लिया है और मंदिर से सटे ऐतिहासिक तालाब में गंदगी और नालियों का पानी जमा हो रहा है।
19वीं शताब्दी के उत्तरार्ध में मिस्टर सप्रू नामक एक कश्मीरी ब्राह्मण इटावा में डिप्टी कलेक्टर के पद पर नियुक्त थे। एक दिन नौकर की कहानी सुनकर उन्होंने नौकरी छोड़ दी और यमुना के बीहड़ व फिर हिमालय की कंदराओं में जाकर घोर तपस्या की। सिद्धि प्राप्त करने के बाद वह जसवंतनगर लौटे और सेठ बद्री प्रसाद के शिव मंदिर के पास अपने चरण रखे। सेठ ने मंदिर की सेवा समर्पित कर दी, और तभी से वह स्थान “खटखटा बाबा आश्रम” के नाम से प्रसिद्ध हो गया।
आज की स्थिति :
- मंदिर आने-जाने वाले दोनों मार्गों पर दुकानदारों ने अवैध कब्जा कर रखा है।
- दुकानों के आगे सामान लगाकर रास्ते पूरी तरह अवरुद्ध कर दिए गए हैं, जिससे न तो श्रद्धालु, और न ही वाहन मंदिर तक पहुंच पाते हैं।
- ऐतिहासिक तालाब में कस्बे की नालियों का गंदा पानी डाला जा रहा है। कूड़ा-कचरा जमा है और स्वच्छता का अभाव है।
- मंदिर परिसर में स्थित प्राचीन छतरियाँ, नक्काशीदार स्मारक, शिव मंदिर आदि जीर्ण-शीर्ण स्थिति में हैं, जिन्हें संरक्षित करने की आवश्यकता है।
खास बातें :
• कश्मीर के महाराजा पहुंचे थे खटखटा बाबा के दर्शन को:
कहते हैं कि जब बाबा के चमत्कारों की ख्याति जम्मू-कश्मीर तक पहुँची तो 1904 में महाराजा प्रताप सिंह अपनी रानी के साथ स्पेशल ट्रेन से जसवंतनगर पहुंचे थे। रेलवे स्टेशन से बाबा की कुटिया तक लाल कालीन बिछाया गया था और फूलों की वर्षा के बीच रियासत की बग्घी से वे आश्रम पहुंचे थे।
• 50 साल पहले हिन्दू-मुस्लिम एकता का प्रतीक:
आज से लगभग 50 वर्ष पूर्व यह मंदिर हिन्दू-मुस्लिम एकता का प्रतीक था। दोनों समुदायों के लोग यहां साथ बैठकर पूजा-अर्चना करते थे। नए जन्मे बच्चों को सबसे पहले खटखटा बाबा के दर्शन के लिए लाया जाता था। 1971 के भारत-पाक युद्ध के बाद मुस्लिम समाज का आना कम हो गया, लेकिन हिन्दू समाज की आस्था अब भी अडिग है।
• भक्तों की मांग और प्रशासन की उदासीनता:
भक्तगण कई बार मंदिर मार्ग से अवैध कब्जा हटाने की मांग कर चुके हैं। नगर पालिका कार्यालय के सामने वाले मुख्य मार्ग से मंदिर तक का रास्ता पूरी तरह अतिक्रमण की चपेट में है। प्रशासन को कई बार ज्ञापन दिए गए, परन्तु अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने स्पष्ट आदेश दे रखे हैं कि अवैध कब्जों पर सख्त कार्रवाई की जाए, फिर भी स्थानीय प्रशासन की निष्क्रियता चिंताजनक है।
• क्या कहना है महंत मोहन गिरी जी का:
वर्षों से कुटिया की सेवा कर रहे महंत मोहन गिरी जी का कहना है कि बाबा की कृपा से यहां आने वाले किसी भी भक्त की मुराद अधूरी नहीं जाती। यहां बंटने वाली प्रसादी कभी समाप्त नहीं होती। बाबा की खड़ाऊ, कमंडल, मिट्टी के पात्र और प्रसिद्धनाथ जी की मूर्ति आज भी कुटिया में सुरक्षित हैं।
भक्तों ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से अपील की है कि ऐतिहासिक खटखटा बाबा मंदिर व प्राचीन स्मारकों के संरक्षण और तालाब की सफाई हेतु उचित आदेश जारी करें, साथ ही मंदिर मार्ग से अवैध कब्जा हटाया जाए ताकि श्रद्धालु आसानी से दर्शन कर सकें और यह सांस्कृतिक धरोहर सुरक्षित रह सके।