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बाढ़ पीड़ितों को दी गई राहत सामग्री

कानपुर नगर। तहसील घाटमपुर क्षेत्र के यमुना नदी के किनारे स्थित अस्थायी जलभराव से प्रभावित गांवों में आज भी राहत और बचाव कार्य जारी रहा। जिलाधिकारी जितेंद्र प्रताप सिंह के निर्देश और अपर जिलाधिकारी (वित्त एवं राजस्व) के मार्गदर्शन में प्रशासनिक अमला लगातार मौके पर मौजूद रहकर कार्यों की निगरानी कर रहा है। रविवार सुबह करीब 10 बजे उपजिलाधिकारी अबिचल प्रताप सिंह ने फ्लड पीएसी टीम के साथ प्रभावित गांवों का निरीक्षण किया और व्यवस्थाओं की समीक्षा की।
प्रभारी अधिकारियों के अनुसार, कटरी, काटर, गड़ाथा, हरदौली और महुआपुरवा में कम्युनिटी किचन के ज़रिए सुबह चना और दलिया का नाश्ता वितरित किया गया। दोपहर में पूड़ी, सब्जी, दाल और चावल का भोजन बाढ़ प्रभावित घरों, सुरक्षित ठिकानों और नावों के माध्यम से पहुंचाया गया। रात्रि भोजन की व्यवस्था भी की गई है, जिससे कोई भी परिवार भूखा न रहे।
उधर, क्षेत्रीय विधायक सरोज कुरील ने उपजिलाधिकारी के साथ गड़ाथा और कटरी गांवों का भ्रमण किया। विधायक ने मोटर बोट से गांव के अंदर जाकर राहत सामग्री वितरित की, बच्चों को बिस्किट और टॉफियां दीं तथा लोगों की कुशलक्षेम जानी। कई परिवारों को मच्छरों से बचाव के लिए अगरबत्ती आदि भी दी गई।
राहत की खबर यह है कि यमुना के जलस्तर में धीरे-धीरे गिरावट दर्ज की जा रही है। सिंचाई विभाग से लगातार अपडेट मिल रहे हैं और यह जानकारी आमजन को भी साझा की जा रही है। गड़ाथा गांव में लगभग दो मीटर पानी घट चुका है।
वर्तमान में कटरी, काटर, गड़ाथा और हरदौली में राहत शिविर संचालित हैं, जहां लोगों को भोजन, पेयजल, दवा और अन्य जरूरी सुविधाएं उपलब्ध कराई जा रही हैं। पूरी राजस्व टीम और पीएसी बल लगातार क्षेत्र में भ्रमण कर लोगों तक मदद पहुंचा रहे हैं।
पशुओं के लिए टीके और दवाएं भी उपलब्ध कराई जा रही हैं। मोबाइल पशुचिकित्सा टीमें क्षेत्र में सक्रिय हैं। साथ ही, घाटमपुर सीएचसी की स्वास्थ्य टीम गांवों में पहुंचकर लोगों का इलाज कर रही है और दवाएं वितरित कर रही है।
बाढ़ से निपटने के लिए 37वीं बटालियन पीएसी की भूमिका सराहनीय रही है। प्रशिक्षित जवान लगातार राहत और बचाव कार्यों में जुटे हुए हैं।
उपजिलाधिकारी अबिचल प्रताप सिंह ने बाढ़ प्रभावित परिवारों से अपील की है कि वे अपने छोटे बच्चों को गहरे पानी, गड्ढों या एकत्र जल के पास न जाने दें। बुजुर्गों और दिव्यांगों की विशेष देखभाल करें। किसी भी प्रकार की लापरवाही न बरतें और बिना सुरक्षा के जलभराव वाले क्षेत्रों में न उतरें। ज़रूरत पड़ने पर तत्काल प्रशासन को सूचना दें।

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