मथुरा: श्याम बिहारी भार्गव। वृंदावन की धर्मनगरी को विश्व पटल पर चमकाने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार तरह-तरह की योजनाएं लेकर आती है। सड़क से लेकर प्रकाश व्यवस्था पर करोड़ों रुपये खर्च किए गए। मथुरा-वृंदावन विकास प्राधिकरण द्वारा छटीकरा से लेकर मल्टीलेवल कार पार्किंग तक हेरिटेज स्टाइल देते हुए फैंसी लाइटें लगाई गई थीं। इस कार्य पर करीब 56 लाख रुपये की लागत आई थी। कार्य पूरा होने के बाद, छह माह पूर्व एमवीडीए ने यह लाइटें नगर निगम को देखरेख के लिए सुपुर्द कर दी थीं, लेकिन निगम की ओर से नियमित रखरखाव न किए जाने के कारण अधिकतर लाइटें अनदेखी की भेंट चढ़कर खराब हो गईं। इसकी जब पड़ताल की गई तो देखा कि कई खंभों पर लाइटें शोपीस बनी हैं तो कई खंभों पर लगी लाइटें दिन में भी जलती रहती हैं। कई तो ऐसी हैं जो दिन में जलती हैं और रात होते होते बंद हो जाती हैं। अभी हाल में अपर नगर आयुक्त सीपी पाठक को जब सूचना मिली तो उन्होंने एमवीडीए से इन्हें ठीक कराने को कहा तो उन्होंने हाथ खड़े कर दिए। निगम की टीम ने 20 लाइटों की मरम्मत कराई, लेकिन अभी भी दो दर्जन से अधिक लाइटें अंधेरे में डूबी हैं। क्षेत्रीय लोगों का कहना है कि प्रशासन योजनाओं की शुरुआत तो करता है, लेकिन कुछ दिन में वह धराशायी हो जाता है।
56 लाख रुपये की रोशनी अंधेरे में हो गई गुम
