फिरोजाबाद। दशलक्षण पर्व के अंतिम दिन अनंत चतुर्दशी के अवसर पर जैन समाज में धार्मिक उत्साह देखने को मिला। इस अवसर पर विभिन्न जैन मंदिरों में उत्तम ब्रह्मचर्य की पूजा-अर्चना की गई और 12वें तीर्थंकर भगवान वासुपूज्य को निर्वाण लाडू चढ़ाया गया। साथ ही 14वें तीर्थंकर अनंतनाथ, मल्लिनाथ और अरहनाथ का विशेष पूजन भी श्रद्धापूर्वक संपन्न हुआ। रत्नत्रय व्रत धारियों का व्रत समापन रविवार को होगा। प्रातःकाल से ही जैन मंदिरों में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ पड़ी। भक्तों ने सेठ छदामीलाल जैन मंदिर, महावीर जिनालय आर्किड ग्रीन, पार्श्वनाथ मंदिर राजा का ताल सहित नगर के लगभग चालीस जिनालयों की पैदल वंदना की। पूरा वातावरण भगवान श्रीजी के जयकारों से गूंज उठा। जैन युवा संघर्ष समिति द्वारा नगर के प्रमुख मार्गों पर वंदनार्थियों के स्वागत के लिए तोरण द्वार लगाए गए। महिला और पुरुष श्रद्धालुओं ने आत्मशुद्धि और अष्टकर्मों की निर्जरा के लिए निर्जला व्रत रखे। जैन विद्वानों ने प्रवचन में कहा कि संसार में सबसे तीव्र और दुर्बोध वासना कामवासना है, जिसके कारण अन्य इंद्रियों का दमन करना अपेक्षाकृत सरल होता है, लेकिन कामेंद्रिय को वश में करना अत्यंत कठिन होता है। यह प्रवृत्ति सभी जीवों में स्वाभाविक रूप से पाई जाती है। इस अवसर पर जैन युवा संघर्ष समिति के अध्यक्ष संजय जैन पीआरओ, महामंत्री कुलदीप मित्तल जैन, विजय जैन एडवोकेट, अरुण जैन, संजीव जैन, राकेश जैन, आदीश जैन सहित अनेक श्रद्धालु अट्टावाला प्राचीन दिगंबर जैन मंदिर पहुंचे और णमोकार मंत्र का जाप करते हुए भगवान वासुपूज्य को निर्वाण लाडू चढ़ाया।
दशलक्षण पर्व के अंतिम दिन मनाया गया अनंत चतुर्दशी दिवस
