मथुरा। बृजभूमि में मांस और मदिरा की बिक्री को लेकर बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर धीरेंद्र शास्त्री द्वारा दिए गए बयान को अब क्षेत्र के संतों का भी खुला समर्थन मिल रहा है। श्रीकृष्ण जन्मभूमि मंदिर केस के मुख्य याचिकाकर्ता दिनेश फलाहारी महाराज ने स्पष्ट कहा है कि बृजभूमि में केवल सात्विक भोजन—दूध, दही, छाछ—का ही सेवन होना चाहिए। मांस और मदिरा जैसे तामसिक पदार्थों की बिक्री और उपभोग यहां अनुचित है। उन्होंने कहा कि यह भूमि गोलोक धाम है, जहां भगवान श्रीकृष्ण ने गोपियों संग महारास किया था। महामंडलेश्वर रामदास महाराज ने भी बयान का समर्थन करते हुए कहा कि बृजभूमि की पवित्रता को ध्यान में रखते हुए यहां मांस और मदिरा की बिक्री पर पूर्ण प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए। उन्होंने इसे धार्मिक और सांस्कृतिक मूल्यों की रक्षा के लिए आवश्यक बताया। वहीं, संत अंकित कृष्ण शास्त्री ने कहा कि बृजवासी जहां आज भी प्याज-लहसुन तक से परहेज करते हैं, वहां मांस और शराब की बिक्री अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है। उन्होंने इसे बृज की परंपरा और आस्था के खिलाफ बताया। महामंडलेश्वर राधानंद गिरी ने भी अपने उद्गार व्यक्त करते हुए कहा कि यह वही भूमि है जहां भगवान कृष्ण ने रासलीला की थी, ऐसे में यहां पर मांस और मदिरा की बिक्री न केवल अनुचित है, बल्कि आस्था का अपमान भी है। प्रसिद्ध संत प्रिया किशोरी ने भी धीरेंद्र शास्त्री के बयान का समर्थन करते हुए कहा कि धर्म और संस्कृति की रक्षा के लिए ऐसे विचारों को गंभीरता से लिया जाना चाहिए। बृज क्षेत्र के संतों की एकजुट मांग से इस विषय पर जनचर्चा तेज हो गई है। अब यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि शासन-प्रशासन इस धार्मिक भावना को ध्यान में रखते हुए क्या निर्णय लेता है।
मथुरा-वृंदावन में मांस-मदिरा पर प्रतिबंध की मांग
