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आत्म शुद्धि के लिये इच्छाओं का रोकना ही उत्तम तप है : अमित सागर

फिरोजाबाद। दशलक्षण महापर्व के सातवें दिन उत्तम तप धर्म की पूजा आराधना हुई। जिनभक्तों ने तप धर्म के पालन करने का नियम लिया तथा नित्य प्रातः श्रीजी के जिनाभिषेक, पूजन के पश्चात् श्रीजी के सम्मुख उत्तम तप का विधान करते हुए अध्र्य समर्पित किये।
मुनि अमित सागर ने उत्तम तप धर्म पर चर्चा करते हुए कहा कि मानसिक इच्छायें सांसारिक बाहरी पदार्थों में चक्कर लगाया करती हैं अथवा शरीर के सुख साधनों में केन्द्रिय रहती हैं। अतः शरीर को प्रमादी न बनने देने के लिये बहिरंग तप किये जाते हैं और मन की वृत्ति आत्म-मुख करने के लिये अन्तरंग तपों का विधान किया गया है। दोनों प्रकार के तप आत्म शुद्धि के अमोध साधन हैं। पांच इन्द्रियों के विषयों के भोगने का तथा क्रोध आदि कषाय भावों के त्याग के साथ जो आठ पहर के लिये सब प्रकार के भोजन का त्याग किया जाता है, उसको अनशन या उपवास कहते हैं। शान्तिनाथ दिगम्बर जैन ओम नगर, अट्टावाला दिगम्बर जैन, अजित नाथ बड़ा मोहल्ला, शीतल नाथ दिगम्बर जैन रसूलपुर, चंद्रप्रभु दिगम्बर सदर बाजार, पाश्र्वनाथ दिगम्बर जैन जैन नगर खेड़ा आदि मंदिरों में शाम के समय सामूहिक महाआरती तथा धार्मिक प्रश्न मंच के द्वारा बच्चों को धार्मिक संस्कार दिए जा रहे हैं। मीडिया प्रभारी आदीश जैन ने बताया कि गुरूवार से रत्नत्रय वृत प्रारम्भ हो जायेंगे, जो अनन्त चर्तुदशी तक चलेंगे।

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