मथुरा। यमुना का जलस्तर तेजी से बढ़ता जा रहा है और उसका रौद्र रूप अब विकराल होता नजर आ रहा है। खतरे का निशान 166.00 मीटर के करीब पहुंच चुका है, जहां यमुना अब मात्र पांच सेंटीमीटर नीचे बह रही है। बीते 24 घंटे में जलस्तर 165.87 मीटर से बढ़कर 165.95 मीटर तक पहुंच गया है, जिससे तटीय इलाकों में बाढ़ का खतरा गहराने लगा है। स्थिति की गंभीरता को देखते हुए प्रशासन सतर्क हो गया है। नौहझील, वृंदावन और सदर क्षेत्र की जयसिंहपुरा सहित दर्जनों कॉलोनियां पूरी तरह जलमग्न हो चुकी हैं। बलदेव और शेरगढ़ के कुछ गांवों का अन्य क्षेत्रों से संपर्क टूट गया है। वृंदावन में परिक्रमा मार्ग पर कई फीट पानी भर चुका है, जिससे श्रद्धालुओं और स्थानीय लोगों को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। सदर के गणेश टीला, जयसिंहपुरा और आस-पास की बस्तियों में दो-दो फीट तक पानी भर चुका है। वहीं, शेरगढ़ के बाबूगढ़, बसाऊ, ओवा, स्यारहा, छिनपारई, दौलतपुर और बेहटा गांव में पानी घरों के भीतर तक पहुंच चुका है। बलदेव, मांट, महावन और नौहझील के भी हालात चिंताजनक बने हुए हैं। प्रशासन ने सुरक्षा के लिहाज से घाटों पर बैरिकेडिंग और टिन शेड लगवा दिए हैं तथा पुलिस बल की तैनाती कर दी गई है। यमुना में नाव संचालन पर पूरी तरह से रोक लगा दी गई है। खादर क्षेत्र की कॉलोनियों में रहने वाले लोगों को सुरक्षित स्थानों पर भेजा जा रहा है। मुनादी के माध्यम से लगातार लोगों से अपील की जा रही है कि वे जलभराव वाले इलाकों को खाली कर दें। सिंचाई विभाग के अनुसार, हथिनीकुंड बैराज से 29,698 क्यूसेक, ओखला बैराज से 51,924 क्यूसेक और गोकुल बैराज से 88,785 क्यूसेक पानी डिस्चार्ज किया जा रहा है। अपर खंड के एक्सईएन नवीन कुमार का कहना है कि जलस्तर में जल्द गिरावट आने की उम्मीद है, लेकिन फिलहाल हालात बिगड़ते जा रहे हैं। बढ़ते जलस्तर के चलते लोगों में भय का माहौल है। प्रशासन की टीमें लगातार निगरानी कर रही हैं और बाढ़ राहत कार्यों को प्राथमिकता से अंजाम दिया जा रहा है। अगर अगले 24 घंटे में जलस्तर नहीं घटा तो यमुना किनारे बसे सैकड़ों गांव और कॉलोनियां पूरी तरह जलमग्न हो सकते हैं।