
नई दिल्ली। दिल्ली, हरियाणा, पंजाब, हिमाचल प्रदेश और जम्मू-कश्मीर में लगातार हो रही भारी बारिश ने हालात बिगाड़ दिए हैं। राजधानी दिल्ली में यमुना नदी का जलस्तर 207.48 मीटर तक पहुंच गया है, जो पिछले 63 वर्षों का रिकॉर्ड तोड़ चुका है। हथिनीकुंड बैराज से छोड़े जा रहे पानी के कारण यमुना ने निचले इलाकों को अपनी चपेट में ले लिया है। प्रशासन ने हालात पर काबू पाने के लिए NDRF और पुलिस की टीमों को राहत और बचाव कार्य में लगाया है। नावों के जरिए लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया जा रहा है और अब तक करीब 15,000 लोगों को राहत शिविरों में शिफ्ट किया जा चुका है। निगमबोध घाट तक बाढ़ का पानी पहुंचने से वहां की दीवार गिर गई, जिससे अंतिम संस्कार की प्रक्रिया को रोकना पड़ा है। सचिवालय मार्ग भी जलभराव के कारण बंद कर दिया गया है।
दिल्ली में यमुना में गिरने वाले सभी 13 नालों को बंद कर दिया गया है और मुहानों पर बालू से भरे बोरे लगाए गए हैं ताकि और पानी न घुसे। दिल्ली-गुरुग्राम के राजीव चौक अंडरपास में भारी जलभराव के चलते यातायात पूरी तरह बाधित है। पंजाब में भी हालात गंभीर होते जा रहे हैं। बाढ़ से अब तक 37 लोगों की मौत हो चुकी है। राज्य के 23 जिलों में 1.75 लाख हेक्टेयर जमीन पर खड़ी फसलें पूरी तरह नष्ट हो चुकी हैं। कई गांव जलमग्न हैं और मवेशियों के शव पानी के बहाव में बहते नजर आ रहे हैं। यह बाढ़ 1988 के बाद की सबसे भयंकर मानी जा रही है। अब तक 1,655 गांवों में 3.55 लाख से ज्यादा लोग प्रभावित हुए हैं और राहत कार्य युद्ध स्तर पर जारी है। रूपनगर और पटियाला जिलों में अलर्ट जारी कर दिया गया है और लोगों को घरों में ही रहने की सलाह दी गई है। राज्य के सभी स्कूल, कॉलेज और विश्वविद्यालय 7 सितंबर तक बंद कर दिए गए हैं।
हिमाचल प्रदेश और जम्मू-कश्मीर में लगातार बारिश के कारण सतलुज, ब्यास और रावी नदियों का जलस्तर खतरनाक स्थिति में पहुंच गया है। इन नदियों और मौसमी नालों के उफान से कस्बों और गांवों में बाढ़ जैसे हालात बन गए हैं। प्रशासनिक एजेंसियां राहत और बचाव कार्य में लगी हुई हैं, लेकिन लगातार बारिश के कारण चुनौती लगातार बढ़ती जा रही है।