हाथरस। सरकार भले ही ग्रामीण विकास के बड़े-बड़े दावे करे, लेकिन जमीनी हकीकत इससे इतर कुछ और ही बयां करती है। जिले के गांव रूदायन की हालत इसका जीता-जागता उदाहरण है। यहां विकास कार्यों की अनदेखी और जनप्रतिनिधियों की उदासीनता के कारण ग्रामीण बुनियादी सुविधाओं से वंचित हैं। गांव का मुख्य मार्ग और गलियां इतनी जर्जर हालत में हैं कि वहां चलना कठिन ही नहीं, खतरनाक हो गया है। मुख्य मार्ग पर घरों का गंदा पानी जमा होकर तालाब का रूप ले चुका है।

गंदगी और बदबू से परेशान ग्रामीण
इस जमा पानी से उठती तेज दुर्गंध और मच्छरों का प्रकोप लोगों को बीमार करने का डर पैदा कर रहा है। ग्रामीणों का कहना है कि इस जलभराव में डेंगू, मलेरिया जैसी घातक बीमारियों के फैलने की पूरी आशंका है। कई वृद्ध और महिलाएं टूटी सड़कों पर फिसलकर घायल भी हो चुकी हैं।
अधूरा विकास, अधूरे वादे
ग्रामीणों का आरोप है कि कुछ माह पहले गांव में घर-घर जल आपूर्ति योजना के तहत पाइप लाइन बिछाई गई थी। इस कार्य के लिए आरसीसी और सीमेन्टेड ईंटों को उखाड़ दिया गया, लेकिन कार्य पूरा होने के बाद सड़क और गलियों की मरम्मत नहीं कराई गई। ठेकेदार द्वारा दिए गए “जल्द सुधार” के आश्वासन अब केवल खोखले वादे साबित हो रहे हैं।
जनप्रतिनिधियों पर भी सवाल
ग्रामीणों का गुस्सा जनप्रतिनिधियों पर भी है। उनका कहना है कि “चुनाव के वक्त हर कोई वोट मांगने तो आ जाता है, लेकिन उसके बाद कोई हाल पूछने तक नहीं आता।”
ग्राम प्रधान से शिकायत करने पर “विकास के लिए पैसा नहीं आया” कहकर जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ लिया जाता है।
प्रशासन से लगाई गुहार
ग्रामीणों ने गंदे पानी की निकासी और गलियों की मरम्मत को लेकर प्रशासनिक अफसरों से कई बार शिकायतें की हैं, लेकिन अब तक कोई स्थायी समाधान नहीं निकल पाया है। गांव की स्थिति जस की तस बनी हुई है और जनजीवन प्रभावित हो रहा है।
ग्रामीणों की मांग
- जलभराव की तत्काल निकासी हो
- मुख्य मार्ग व गलियों की मरम्मत कराई जाए
- जिम्मेदार अधिकारियों का मौके पर निरीक्षण हो
- जनप्रतिनिधियों से जवाबदेही तय की जाए