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सुदर्शन चक्र के लिए तीनों सेनाओं के प्रयास की जरुरत : चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ

कविता पंतः नई दिल्ली। चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल अनिल चौहान ने मंगलवार  को कहा कि ‘सुदर्शन चक्र’ वायु रक्षा प्रणाली के लिए एक मजबूत बुनियादी ढांचा विकासित करना होगा, जिसमें मिसाइलों और निगरानी प्रणालियों जैसी प्रमुख त्रि-सेवा सैन्य परिसंपत्तियों की एक श्रृंखला शामिल होगी, जिससे एक अभेद्य रणनीतिक कवच तैयार किया जा सकेगा। महू में एक सम्मेलन में जनरल चौहान ने कहा कि इस कवच को विकसित करने के लिए “संपूर्ण राष्ट्र” के दृष्टिकोण की आवश्यकता होगी। उनका सुझाव था कि सुदर्शन चक्र इजरायल की आयरन डोम ऑल-वेदर एयर डिफेंस प्रणाली की तर्ज पर होगा, जिसे एक बहुत प्रभावी मिसाइल शील्ड के रूप में जाना जाता है। प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी ने 15 अगस्त को लाल किले से भारत के महत्वपूर्ण सैन्य और नागरिक प्रतिष्ठानों की सुरक्षा के लिए और दुश्मन के किसी भी खतरे का निर्णायक जवाब देने के लिए स्वदेशी वायु रक्षा प्रणाली विकसित करने की परियोजना की घोषणा की थी । यह कदम पाकिस्तान और चीन से उत्पन्न सुरक्षा चुनौतियों के बीच उठाया गया था। परियोजना पर अपनी पहली टिप्पणी में चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ ने कहा कि सेना को जमीन, हवा, समुद्र, पानी के नीचे और अंतरिक्ष सेंसरों के बहु-डोमेन आईएसआर (खुफिया, निगरानी और टोही) एकीकरण पर ध्यान देना होगा। जनरल चौहान ने कहा कि सुदर्शन चक्र परियोजना के लिए विभिन्न प्रणालियों को एकीकृत करने के लिए तीनों सेनाओं को भारी प्रयास करने होंगे। उन्होंने कहा कि बहुत बड़ी मात्रा में एकीकरण की आवश्यकता होगी तथा एक सही तस्वीर उपलब्ध कराने के लिए विभिन्न क्षेत्रों को नेटवर्क से जोड़ना होगा। जनरल चौहान ने सुझाव दिया कि इस परियोजना में कृत्रिम बुद्धिमत्ता, उन्नत डेटा विश्लेषण, गहन डेटा विश्लेषण और क्वांटम प्रौद्योगिकी का भी उपयोग किया जाएगा। प्रधानमंत्री मोदी ने सुदर्शन चक्र परियोजना की घोषणा ऐसे समय में की है, जब कुछ दिन पहले ही पाकिस्तानी सेना प्रमुख फील्ड मार्शल असीम मुनीर ने कथित तौर पर संकेत दिया था कि भविष्य में दोनों देशों के बीच किसी सैन्य टकराव की स्थिति में वे सीमा पर भारतीय संपत्तियों को निशाना बना सकते हैं, जिनमें गुजरात में रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड की जामनगर रिफाइनरी भी शामिल हैं। आर्मी वॉर कॉलेज में आयोजित रण संवाद सम्मेलन में अपने संबोधन में जनरल चौहान ने तीनों सेनाओं के बीच बेहतर मेल की आवश्यकता पर भी जोर दिया। दो दिवसीय सम्मेलन में सेवारत सैन्य पेशेवरों को रणनीतिक वार्ता के अग्रभाग में लाया जाएगा और अंतिम दिन रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह पूर्ण संबोधन देंगे। इस कार्यक्रम के दौरान कुछ संयुक्त सिद्धांत तथा प्रौद्योगिकी परिप्रेक्ष्य और क्षमता रोडमैप भी जारी किए जाएंगे। यह आयोजन अपनी तरह की पहली पहल है, जिसमें प्रत्येक विषयगत सत्र का नेतृत्व सेवारत अधिकारी करेंगे जो आधुनिक युद्धक्षेत्रों से अपने प्रत्यक्ष परिचालन अनुभव और विचार साझा करेंगे। इसे चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ के समग्र मार्गदर्शन में, सेना प्रशिक्षण कमान के सहयोग से, मुख्यालय एकीकृत रक्षा स्टाफ और संयुक्त युद्ध अध्ययन केन्‍द्र द्वारा तैयार किया गया है।

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